होगा एक और शब्द
नीली रंगतें बदलतीं
आकाश और लहरों की
बादल गुनगुनाता कुछ
सपना सा खुली आँखों का
कैसा होगा यह दिन
कैसा होगा
यह वस्त्र क्षणों का
ऊन के धागों का गोला
समय को बुनता
उनींदे पत्थरों को थपकाता
होगा एक और शब्द
कहने को
यह किसी और दिन
(पत्थर हो जाएगी नदी, 2007)