नक़्शानवीस The Cartographer

नक़्शानवीस

पंक्तियों के बीच अनुपस्थित हो
तुम एक ख़ामोश पहचान
जैसे भटकते बादलों में अनुपस्थित बारिश,
तुम अनुपस्थित हो जीवन के हर रिक्त स्थान में
समय के अंतराल में
इन आतंकित गलियों में ।
मैं देखता नहीं किसी खिड़की की ओर
रुकता नहीं किसी दरवाज़े के सामने
देखता नहीं घड़ी को
सुनता नहीं किसी पुकार को,
बदलती हुई सीमाओं के भूगोल में
मेरा भय ही मेरे साथ है ।
 
(रेत का पुल, 2012)
 

The Cartographer

Between the lines it’s you,
absent, but a silent presence
just as the rain is absent in the passing clouds.
There you are, absent, in every empty space
of life. In every gap of time
on these panic-stricken roads.
I don’t look out any window,
I don’t stop at any door
I don’t watch the clock
I hear no one’s call.
As geography changes its borders,
fear is my sole companion.
 
From Ret ka Pul (Bridge of Sand, 2012)
 

Original Poem by

Mohan Rana

Translated by

Lucy Rosenstein with Bernard O’Donoghue Language

Hindi

Country

India