फोटोग्राफ़ में The Photograph

फोटोग्राफ़ में

दोनों ओर जंगल बीच रास्ता रोशनी और दिशा के साथ
दोनों ओर जंगल कहकहाता बीच रास्ता शांत
दोनों ओर जंगल चीख़ता बीच रास्ता विरक्त
दोनों ओर जंगल सपनों में डूबा बीच रास्ता यह विमुक्त किसी नींद से
हिलता यह दृश्य आँखों में जैसे पानी की सतह पर कोई प्रतिबिम्ब,
चौंकता चेहरा झुका हुआ उस पर
बंद गीली आँखों में
डबडबाती एक दुनिया,
दिशासूचक की तरह ले जाता
तुम्हारे भीतर प्रेम किसी अनजाने रास्ते पर तुम्हें
और सच कर देता है मुक्त,
खोल दो अपनी बंद हथेलियों को
हवा नहीं छुप सकती उनमें
रोशनी भी नहीं
वे ख़ुद को ही क़ैद किए हुए हैं इस जेल में,
देखना चाहता हूँ तुम्हारा चेहरा
किसी अकस्मात से पहले
 
(धूप के अँधेरे में, 2008)
 

The Photograph

Woods on either side: light along the path down the middle.
Woods on either side and loud laughter: path silent down the middle.
Woods on either side, and screams: path unmoved down the middle.
Woods on either side, bathed in dreams: the path released from sleep.
 
This vision trembles on the eyes like the mirroring surface of water.
A face bent over it is startled
at the world shimmering
in those shut, moist eyes:
like a compass, the love inside you
takes you on an unfamiliar path
and the truth releases you.
 
Open out your clenched palms.
The wind can't hide inside them,
nor light either.
They have made their own prison.
I want, suddenly, to see your face:
then to be surprised.
 
4.4.2003
From Dhoop ke Andhere men, In the Darkness of the Sun
 
 
 

Original Poem by

Mohan Rana

Translated by

Lucy Rosenstein with Bernard O’Donoghue Language

Hindi

Country

India