कवि का हाल The Poet’s Fate

कवि का हाल

वह रोशनी अगर और सफ़ेद होती तो
हम तुम अदृश्य हो जाते
जीते अपनी अपनी अदृश्य पीड़ा को
बिना जाने कभी
खुशी की  अनुपस्थिति को
चकित होते उस अदृश्यता पर
जिसमें ग़ायब हैं परछाइयाँ
जिसमें ग़ायब हैं आकार
और गिरते हुए हम करते उड़ने की कल्पना बिना आकाश के,
केवल आवाज़
जो पहुँचती बची हुई स्मृति तक
जहाँ परिचय की जरूरत नहीं,  
कवि का हाल
कविता की नियति
यह साथ
साथ साथ
एक साँस की बात
 

Original Poem by

Mohan Rana

Translated by

Lucy Rosenstein with The Poetry Translation Workshop Language

Hindi

Country

India